ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।
साधो जीवन गीत सुहाना कहाँ उदासी कहाँ बहाना।
अर्चन पूजन मंदिर जाना हर हर गंगे खूब नहाना।
ओढ़ चुनरिया निर्मल हो लो सजग चेतना धी धन तारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।
मेला जग का सुभग लुभाता झिलमिल तारे चाँद सुहाता।
क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच तत्व से प्राण पुहाता।
चीवर के बिखरे तारों की ईश करे है सीवन सारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।
शुभ दिन सभी ईश के उज्ज्वल मंगल घड़ी कर्म से फलती।
धर्म सिखाता जीवन जीना करुणा में मानवता पलती।
अशुभ नहीं कुछ शुद्ध आचरण से बनते हैं सब छन न्यारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।
*** सुधा अहलुवालिया
No comments:
Post a Comment