सिर
शोभित हेम
किरीट गजानन मूषक वाहन प्रेम करे।
उपवीत
मनोहर कंध पड़ा अरु मोदक के कर थाल धरे।
फल में
प्रिय जामुन कैथ
लगें उर
पाटल फूलन हार परे।
मुख
पान सुपारि सुलौंग चवें सुख दायक हो सब क्लेश हरे।
जड़ता
उर की प्रभु नष्ट करो प्रथमेश विराजित हो मन में।
हर लो
तम नाथ घना जग का सुख शांति भरो सबके तन में।
प्रभु मंगल पूर्ण बयार चले जग के हर शोभित
आंगन में।
कविता
सविता सम भोर लिए थिरके नव ज्योति तभी वन में।
अर्चना
बाजपेयी
हरदोई
उत्तर प्रदेश।
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