रिश्तों का आधार, प्रीति विश्वास समर्पण।
लोभ दंभ का त्याग, स्वच्छ हो मन का दर्पण।।
अपनों का सायुज्य, टूटने कभी न देता।
देकर नित नव लक्ष्य, शिथिलता सब हर लेता।।
किसी का साथ निभता जब नजर में मान होता है।
नजरिया बिन मिले रिश्ता बड़ा बेजान होता है।
भला सामान गहने दे सके खुशियाँ किसी को कब-
दिलों की हो सगाई तब सफर आसान होता है।।
*** मीतू कानोड़िया
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