Sunday, 29 September 2024

नीलिमा के पटल पर - गीत

 

नीलिमा के इस पटल पर, नव सबेरा आज कर तुम,
देख लो अदृष्ट अपना, यह सुनहली प्रात तेरी।

खुल गयी है यवनिका अब, यश प्रदा नव-जागरण की।
कर्म के पट पर लिखी है, भूमिका तव आचरण की।
जाग नव युग के सृजन पर, अब हुई है बात तेरी।
देख लोअदृष्ट अपना .....

यामिनी की पाठशाला, अब हुई है बन्द पगले।
नव सवेरा है उसी का, जो स्वयं ही आज सँभले।
इस सृजन पर हो न पाए, ओ मुसाफ़िर मात तेरी।
देख लो अदृष्ट अपना .....

अब तलक तू कर्म-पथ पर,स्वप्न ही बुनता रहा है।
कल्पना के मृदु सफर में, फूल ही चुनता रहा है।
चाहती माँ भारती अब, कर्म की सौगात तेरी।
देख लो अदृष्ट अपना.....

*** सीमा गुप्ता 'असीम'

No comments:

Post a Comment

आगत का है स्वागत करना - एक गीत

आगत का है स्वागत करना, संस्कृति का आधार लिए। मंत्र सिद्ध अनुशासित जीवन, नेकी सद आचार लिए। घटती-बढ़ती नित्य पिपासा, पथ की बाधा बने नह...