माँ भवानी जगत जननी बेटियों में वास तेरा।
नव स्वरूपा कंज बदना भद्रकाली न्यास तेरा।
लावनी अति पावनी शुचि छावनी मधु यामिनी तू।
शक्ति रूपा मृदुल आभा सुहागन मुख हास तेरा।
नव स्वरूपा कंज बदना भद्रकाली न्यास तेरा।
धारती संवेदना का अंश नारी है धरा पर।
जन्म देती पालती शिशु विषमताओं को हरा कर।
पा गई करुणा सहज नारी सुभग आभास तेरा।
नव स्वरूपा कंज बदना भद्रकाली न्यास तेरा।
मातु मेरी गंगजल निर्मल, बलाओं से बचाती।
सालती संस्कार मन में ज्योति अंतस की सजाती।
है दिया उपहार माँ का भक्त मैं हूँ दास तेरा।
नव स्वरूपा कंज बदना भद्रकाली न्यास तेरा।
*** सुधा अहलुवालिया
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