त्रयोदशी से पाँच दिवस का, दीपोत्सव त्योहार।
तन-मन होगा स्वच्छ तभी जब, मन से मिटे विकार।।
ज्योतिर्मय कर दीपक अपना,सदा करे सद्कर्म।
अंधकार में खुद रहकर भी, सदा निभाये धर्म।।
नहीं प्रदूषित करें नगर को, होगा तब उपकार।
त्रयोदशी से पाँच दिवस का, दीपोत्सव त्योहार।।
मन के दूर विकार सभी हो, तभी तमस का नाश।
दीनों के घर करें उजाला, फैले ख़ूब प्रकाश।।
आतिश बाज़ी छोड़ दीन को, बाँटें कुछ उपहार।
त्रयोदशी से पाँच दिवस का, दीपोत्सव त्योहार।।
करे सभी घर वैभव लक्ष्मी, ख़ुशियों की बरसात।
गोवर्धन दिन मिले कृष्ण से, रक्षा की सौगात।।
भाई दूज बहन भाई से, करे प्रेम इजहार।
त्रयोदशी से पाँच दिवस का, दीपोत्सव त्योहार।।
*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
गीत को स्थान प्रदत्त करने के लिए हार्दिक आभार आ विश्वाजीत सपन जी ।
ReplyDeleteEnjoyed your post immensely! Your ideas are thought-provoking. Keep the posts coming!
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