आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।
शैलपुत्री कालरात्री स्कंदमाता लावनी तू।
कात्यायनी अरिहंतनी कुष्मांडा सिंहवाहिनी।
रक्तबीजाश्वरी माता ब्रम्हचारिणी उपासिनी।
अष्टभुज आयुध सजाए शक्तिरूपा कामिनी तू।
आदिशक्ति प्रबुद्ध माता सिद्धदात्री पावनी तू।
माँ शिवानी त्रिपुरसुंदरि मुण्ड माला साजते हैं।
पाँव बिछुआ हाथ कंगन कर्ण किंकिण बाजते हैं।
सुर असुर ध्यावें अहर्निश वत्सला माँ सावनी तू।
आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।
लाल चूनर में सजी माँ नथ हिले ज्यों पवि दमकती।
चन्द्रमुख बीड़ा रचाए घाघरा लहरी गमकती।
है वृहत भवसिन्धु माया धूप जीवन छावनी तू।
आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।
*** सुधा अहलुवालिया
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