बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख।
दाता बनकर तुम रहो, यही बडों की सीख।।1।।
विद्या उत्तम दान है, खर्चे से बढ़ जाय।
जब प्रसन्न माँ शारदे, बिन माँगे ही पाय।।2।।
जीवन यह अनमोल है, चला न जाये व्यर्थ।
लगे अगर परमार्थ में, तो ही निकले अर्थ।।3।।
काम क्रोध मद मोह का, यहाँ निरंतर वास।
करने से उपकार ही, फैले परम सुबास।।4।।
मिलता है सब कर्म से, संतों की यह सीख।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख।।5।।
**हरिओम श्रीवास्तव**
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