Sunday, 20 July 2014
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धर्म पर दोहा सप्तक
धर्म बताता जीव को, पाप-पुण्य का भेद। कैसे जीना चाहिए, हमें सिखाते वेद।। दया धर्म का मूल है, यही सत्य अभिलेख। करे अनुसरण जीव जो, बदले जीवन ...
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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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प्रेम की जोत से। ज्ञान के स्रोत से। आत्म चैतन्य हो। प्रेम से धन्य हो॥1॥ भावना प्रेम हो। कामना क्षेम हो। वेद का ज्ञान हो। कर्म में...
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