Sunday, 31 March 2024

जीवन की गाड़ी - एक गीत

 

चिंता और उदासी लादे, जीवन की गाड़ी चलती।
लेकिन अंतस गह्वर में तो, लौ आशा की ही जलती।।

थका मुसाफिर मंजिल ताके, चैन नहीं उसको आता।
पाँव बढ़ाता जब साहस से, सफल तभी वह हो पाता।।
कर्महीन तो बैठे - बैठे, मंजिल के सपने देखे।
दुर्गम होगा पथपर चलना, बात यही उसको खलती।।

जब भी आती दुख की आँधी, तहस-नहस सुख कर देती,
नेह -स्नेह की पावस आ कर, सहज हरितिमा भर देती।।
निर्विकार तकती आँखों में, तब सुधियाँ नर्तन करती,
दिन-दोपहरी चलते चलते, मृत्यु वरन करके पलती।।

अपने किये कराये का जब, गुणा - भाग मानव करता,
भयभीत हुआ वन में जैसे, कदम-कदम वह है रखता।
जीवन बन जाता तब योगी, श्वास-श्वास बनके मोती।
समझो मानव कर्म इसे ही, आशा कभी नहीं गलती।।
*** साधना कृष्ण

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