ढोल, ताशे रहे बाज़, नेह के सलोने साज़,
गीत दिल खुशियों का, गा रहा मलंग है।
लोहड़ी की मची धूम, पोंगल भी आया झूम,
रंग रंग आज देखो, उड़े रे पतंग है।
गुड़ तिल हुए खास, घोलते ज़ुबां मिठास,
संक्रांति में नव आज, छा रही उमंग है।
प्रेम का करो व्यापार, सिखाते यही त्यौहार,
ज़िन्दगी में सुख तभी, मिलेगा दबंग है।।
*** दीपशिखा सागर***
रंग रंग आज देखो, उड़े रे पतंग है।
गुड़ तिल हुए खास, घोलते ज़ुबां मिठास,
संक्रांति में नव आज, छा रही उमंग है।
प्रेम का करो व्यापार, सिखाते यही त्यौहार,
ज़िन्दगी में सुख तभी, मिलेगा दबंग है।।
*** दीपशिखा सागर***
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