Sunday, 10 January 2016

छोटा मुँह और बड़ी बात पर एक कुण्डलिया


छोटे मुख से कर रहे, बड़ी बड़ी क्यों बात,
खुद को तो देखो जरा, पहचानो औकात।
पहचानो औकात, तुला पर मन की तौलो,
परखो बारम्बार, बात तब मुख से बोलो।
कह "दबंग" कविराय, खरे हो या फिर खोटे,
कभी न ऊँचे बोल, निकालो मुख से छोटे।
 


÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
रवि कांत श्रीवास्तव "दबंग" ग्वालियर

No comments:

Post a Comment

धर्म पर दोहा सप्तक

  धर्म बताता जीव को, पाप-पुण्य का भेद। कैसे जीना चाहिए, हमें सिखाते वेद।। दया धर्म का मूल है, यही सत्य अभिलेख। करे अनुसरण जीव जो, बदले जीवन ...