सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला
के साहित्यिक मंच पर
मज़मून 18 में चयनित
सर्वश्रेष्ठ रचना
दिल का हाल मत पूछो,
बादल क्यों बरसता रहा रात भर,
बिजलियों से जा के पूछो।
आसमाँ छू सको तो,
शौक़ से चले आओ उड़ने,
पर मंज़िल कहाँ मिलेगी,
यह रास्तों से पूछो।
घर के ज़ख्मों को,
छिपा लेते हैं जगमगाते फानूस,
इन दीवारों में क्या दफ़न है?
घर के झरोखों से पूछो।
आँधियाँ कितनी बेरहम थी उन दिनों,
यह बात पंछियों से मत पूछो,
कौन सा परिंदा बेघर हुआ,
पेड़ की टूटी डालियों से पूछो।
मटमैला-सा आलम है,
आसमानों में धुआँ-धुआँ क्यों है?
फूलों को खिला रहने दो बागवानों में,
तितलियाँ कहाँ खो गयीं,
यह पिछली सदी से पूछो।
________
मंजुल भटनागर
शौक़ से चले आओ उड़ने,
पर मंज़िल कहाँ मिलेगी,
यह रास्तों से पूछो।
घर के ज़ख्मों को,
छिपा लेते हैं जगमगाते फानूस,
इन दीवारों में क्या दफ़न है?
घर के झरोखों से पूछो।
आँधियाँ कितनी बेरहम थी उन दिनों,
यह बात पंछियों से मत पूछो,
कौन सा परिंदा बेघर हुआ,
पेड़ की टूटी डालियों से पूछो।
मटमैला-सा आलम है,
आसमानों में धुआँ-धुआँ क्यों है?
फूलों को खिला रहने दो बागवानों में,
तितलियाँ कहाँ खो गयीं,
यह पिछली सदी से पूछो।
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मंजुल भटनागर
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