सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला
के साहित्यिक मंच पर
मज़मून 20 में चयनित
सर्वश्रेष्ठ रचना
संसार में कोई अनुरागी तो किसी में लिपटा विराग है
कोई सोया निश्चिन्त तो कहीं सदियों की बेचैन जाग है
कोई सोया निश्चिन्त तो कहीं सदियों की बेचैन जाग है
कहीं प्रेम की शीतल छाँव तो कहीं बदले की आग है
कोई भोला-भाला बेखबर तो कोई पहुँचा हुआ घाघ है
कहीं दुःख का सूखा मरुस्थल तो कहीं ख़ुशी का बाग़ है
एक ईश्वर की संतान पर सबका अपना-अपना कर्म-भाग है
कोई चरित्र से निरा साफ़ पाक तो किसी पर लगा दाग है
कैसे समझे गज़ब दुनिया को यहाँ तो भाँति-भाँति के राग है
क्योंकि सबकी अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग है
डॉ.अनीता जैन 'विपुला'
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