सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला
के साहित्यिक मंच पर
मज़मून 17 में चयनित
उनका आना मंगलकारी,
काया उनकी सबसे न्यारी,
देते मुझको वो सुख सम्पति,
क्या सखि साजन ? नहिं सखि ‘गणपति’ !!
काया उनकी सबसे न्यारी,
देते मुझको वो सुख सम्पति,
क्या सखि साजन ? नहिं सखि ‘गणपति’ !!
2
राह तकूँ कब होगी आवन,
आकर कर दें मुझको पावन,
वो सब देते सुख अरु सन्मति
क्या सखि साजन ? नहिं सखि ‘गणपति’ !!
3
मैं जब याद करूँ वो आते,
मोदक बड़े चाव से खाते,
उनके लिये अधीर हुआ मन,
क्या सखि साजन ? नहीं “गजानन’ !!
4
वो मुझसे मिलने हैं आते,
संतापों को दूर भगाते,
उनको सब अर्पण तन मन धन,
क्या सखि साजन ? नहीं “गजानन’ !!
5
वो मेरे दिल में है रहता
मेरे विघ्न हरण वह करता,
मुझपर लगा उसी का ठप्पा,
क्या सखि साजन ? “गणपति बप्पा’ !!
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***हरिओम श्रीवास्तव***
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