सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला
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आये दोनों
साथ में, मनीं ईद सँग तीज।
सौगातें
सौहाद्र की, गई नजर हर भीज।।
गई नजर हर भीज, नेह की दौलत पाकर।
त्यौहारों से पुष्प, सजाते हर घर आकर।।
मन माने उल्लास, प्रेम जब बैर मिटाये।
गंग-जमुन तहजीब, रौनकें लेकर आये।।
गई नजर हर भीज, नेह की दौलत पाकर।
त्यौहारों से पुष्प, सजाते हर घर आकर।।
मन माने उल्लास, प्रेम जब बैर मिटाये।
गंग-जमुन तहजीब, रौनकें लेकर आये।।
~ फणीन्द्र कुमार ‘भगत’
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