खिलाएँ यहाँ फूल ऐसे चमन में,
बिखेरें हृदय से महक इस तरह की,
कि पल-पल सदा हो सराबोर जाएँ।
नहीं हों भले सब हितैषी हमारे,
मगर हित सभी का हमें सोचना है।
करे वो भले ही बुरा इस जहाँ में,
हमें पथ सदा सत्य का खोजना है।
इसी बात का ध्यान रखना हमें है,
सभी के हितों को सदा आजमाएँ।
नहीं कुछ जहाँ में हमारा तुम्हारा,
सभी ईश का है यही मान रहना।
सदा प्रेम की भावना जोड़ती है,
हमेशा इसी बात का भान रखना।
मनों में रहा द्वेष ईर्ष्या कहीं तो,
जड़ें दें हिला ताकि जड़ तोड़ पाएँ।
कभी सोचते हैं गिरे मूल्य मानव,
हृदय को अजानी कसक बेधती है।
धरम-जाति की बेड़ियाँ जो पड़ी वे,
हृदय को हमारे सदा घेरती है।
धरा पर रहें एक होकर सभी जन,
यही कामना आज मन में जगाएँ।
खिलाएँ यहाँ फूल ऐसे चमन में,
कि खुशबू-भरे रात दिन भोर आएँ।
*** डॉ. राजकुमारी वर्मा
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