त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम।
निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।।
राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल सा हो मन भाव।
करे आचरण यदि मर्यादित , रहे न मन में कहीं दुराव।
राम राज्य आदर्श सभी का, सत्य बताने आये राम।
निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।।
कठिनाई का करें सामना, वन वन भटके सीता राम।
ऊँच-नीच का भेद मिटाने, करे मित्रता सबसे राम।
श्रद्धा से छलकाकर आँसू, कलुष मिटाने आये राम।
निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।।
चेतन और अचेतन जग में, कण कण व्यापे जो संसार।
जीवन का शुभ मन्त्र राम है, अखिल सृष्टि के है आधार।
राम नाम से पत्थर तिरते, मन्त्र सिखाने आये राम।
निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।।
*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
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