अश्रु-संग में मुस्काना वो, याद करे दिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए मिल बार बार
कभी व्यथित जब पचपन होता
बस बचपन में खो जाता है
कागज की फिर नाव सम्हाले
सावन-भादों हो जाता है
नेह मेह में घुलती पीड़ा, दिल जाता खिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
बहुत शौक था उडूँ गगन में
मैं भी एक पखेरू बन कर
पंख जवाँ ले अम्बर नापा
लाया चाँद सितारे चुनकर
माँग सजायी मैंने उसकी, पिया गले मिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
बाद दोपहर शाम आ गयी
पोर-पोर में पीर लिए जब
समझा बचपन सपन सलोना
प्राणों ने परवाज़ भरे जब
जो बोया वो काट रहा हूँ, दिल पर रख सिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
***** गोप कुमार मिश्र
बस बचपन में खो जाता है
कागज की फिर नाव सम्हाले
सावन-भादों हो जाता है
नेह मेह में घुलती पीड़ा, दिल जाता खिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
बहुत शौक था उडूँ गगन में
मैं भी एक पखेरू बन कर
पंख जवाँ ले अम्बर नापा
लाया चाँद सितारे चुनकर
माँग सजायी मैंने उसकी, पिया गले मिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
बाद दोपहर शाम आ गयी
पोर-पोर में पीर लिए जब
समझा बचपन सपन सलोना
प्राणों ने परवाज़ भरे जब
जो बोया वो काट रहा हूँ, दिल पर रख सिल बार बार
पचपन बचपन करते बातें, मुस्काए दिल बार बार
***** गोप कुमार मिश्र
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