शंकर नारी वेश में, नाचे केशव संग।
मदमाती धरती खिली, बाजे खूब मृदंग।।
बाजे खूब मृदंग, देव सब ख़ुशी मनाएं।
महादेव का नृत्य, देख केशव हर्शायें।।
लक्ष्मण भोले-नाथ, नाचते नारी बनकर।
दे सबको वरदान, सदा ही भोले शंकर ।।
भोले शंकर आपने, किया गरल का पान।
रुद्र रूप में आप ही, आये बन हनुमान।।
आये बन हनुमान, जिन्हें सब व्यथा सुनाये।
आप जटा में थाम, धरा पर गंगा लाये।।
लक्ष्मण शिव के नृत्य, भेद न कोई खोले।
रहे हिमालय धाम, कहाते शंकर भोले ।।
*** लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
रुद्र रूप में आप ही, आये बन हनुमान।।
आये बन हनुमान, जिन्हें सब व्यथा सुनाये।
आप जटा में थाम, धरा पर गंगा लाये।।
लक्ष्मण शिव के नृत्य, भेद न कोई खोले।
रहे हिमालय धाम, कहाते शंकर भोले ।।
*** लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
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