प्रभुजी मेरे तन साँस-साँस भ्रम हरो।।
सुन्दर विशाल भवन-सा स्वस्थ शरीर बनाया,
सुन्दर विशाल भवन-सा स्वस्थ शरीर बनाया,
पाँच उद्यान पाँच बाजार से तन को सजाया,
पाँच कोट की काया, पाँच दोष से उढ़ाया,
नाथ मेरे दूषित तन को शुद्ध करो,
प्रभुजी मेरे तन साँस-साँस भ्रम हरो।।
नौ द्वार भवन मध्य तीन खण्डों में बँटाया,
नौ द्वार भवन मध्य तीन खण्डों में बँटाया,
हर द्वार हाथ पसारा प्रेम भिक्षा ले
आया,
राग-द्वेष की दीमक चाट
रही चित घबराया,
आन प्रभु अब मेरा चित्त शांत करो,
प्रभुजी मेरे तन साँस-साँस भ्रम हरो।।
पाँच माला सदन और एक रक्षक बैठाया,
पाँच माला सदन और एक रक्षक बैठाया,
बना बैठा गृह स्वामिनी
काहे दुःख सताया,
मुक्त गगन में उड़ अंतस मध्य गोता लगाया,
पिंजरा तोड़ कर पंछी उड़ान भरो,
प्रभुजी मेरे तन साँस-साँस भ्रम हरो।।
इंदु रचित पद सुन्दर ज्ञान भर अन्दर,
इंदु रचित पद सुन्दर ज्ञान भर अन्दर,
कूट
कर चेतस भाव मन अन्दर धरो
।
प्रभुजी मेरे तन साँस-साँस भ्रम हरो।।
********* सुरेश चौधरी
(रक्षक=प्राण, ९ द्वार = २ आँखें, २ नाक छिद्र, २ कान १ मुँह, १ गुदा, १ जनेन्द्रिय ३ खंड = त्रीगुण, सत-रज-तम, ६ परिवार = मन, दृष्टि, स्वाद, गंध, शब्द, स्पर्श ५ बाजार = ५ कर्मेन्द्रियाँ ५ तत्त्व = क्षिति, जल, गगन, पावक, समीर, १ गृहस्वामिनी= भौतिक सुख)
********* सुरेश चौधरी
(रक्षक=प्राण, ९ द्वार = २ आँखें, २ नाक छिद्र, २ कान १ मुँह, १ गुदा, १ जनेन्द्रिय ३ खंड = त्रीगुण, सत-रज-तम, ६ परिवार = मन, दृष्टि, स्वाद, गंध, शब्द, स्पर्श ५ बाजार = ५ कर्मेन्द्रियाँ ५ तत्त्व = क्षिति, जल, गगन, पावक, समीर, १ गृहस्वामिनी= भौतिक सुख)
उम्दा रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद |
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीया Asha Saxena जी.
Deleteनमन