'सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला'
मज़मून 35 में चयनित सर्वश्रेष्ठ रचना
स्वागतम स्वागतम नव बसंत सु-स्वागतम,
पीत पीत वसुंधरा पोषित नव कुसुम अनुपम।
नव-किसलय नव-पल्लव वासित उपवन नूतन,
नव हर्ष आनंदित नव प्रिया उर –तरु मिलन।
पक्षी विचर रहे शुभ व्योम पर हर्षातिरेक,
चहुँ दिशा नवोत्कर्ष छाया विशेष अभिषेक।
उन्मत पंकज मकरंद रस निपात अति मधुर,
अनंग वृन्द चोष-चोष पिबम स्वर कामातुर।
नील व्योम स्फटिक रजनीश संग तारांगन,
चहुँ ओर अति उमंग अनुराग प्रीत प्रांगन।
मिलन मधुर आलिंगन मधुर मधुरा रस पान,
प्रेयसी की प्यास मधुर बसंत हुई सुख खान।
ख़ुशी अनन्त है, नयन चपल अयन दिगंत है,
हृदय प्रियंत है, आये कन्त हैं, बसंत है।
अमिय रस रसवंति, हरी-भरी धरा बसंती,
पुष्प-पुष्प रच रहे चित्र विचित्र लाजवंती।
ऋतुराज क्षुब्ध हो करे युवा आवाहन,
छोड़ बसंती आलिंगन कर देश भावालिंगन।
अंतराल के विकट प्रहरी करे गुंजित देश,
क्षितिजपट पर अरुणिमा लिए वयूष विशेष।
प्रातः की लालिमा ले सुप्त राष्ट्र जगाना है,
बसंत तो फिर मने अनाचार मिटाना है।
स्वागतम स्वागतम नव बसंत सु-स्वागतम,
पीत पीत वसुंधरा पोषित नव कुसुम अनुपम।
नव-किसलय नव-पल्लव वासित उपवन नूतन,
नव हर्ष आनंदित नव प्रिया उर –तरु मिलन।
पक्षी विचर रहे शुभ व्योम पर हर्षातिरेक,
चहुँ दिशा नवोत्कर्ष छाया विशेष अभिषेक।
उन्मत पंकज मकरंद रस निपात अति मधुर,
अनंग वृन्द चोष-चोष पिबम स्वर कामातुर।
नील व्योम स्फटिक रजनीश संग तारांगन,
चहुँ ओर अति उमंग अनुराग प्रीत प्रांगन।
मिलन मधुर आलिंगन मधुर मधुरा रस पान,
प्रेयसी की प्यास मधुर बसंत हुई सुख खान।
ख़ुशी अनन्त है, नयन चपल अयन दिगंत है,
हृदय प्रियंत है, आये कन्त हैं, बसंत है।
अमिय रस रसवंति, हरी-भरी धरा बसंती,
पुष्प-पुष्प रच रहे चित्र विचित्र लाजवंती।
ऋतुराज क्षुब्ध हो करे युवा आवाहन,
छोड़ बसंती आलिंगन कर देश भावालिंगन।
अंतराल के विकट प्रहरी करे गुंजित देश,
क्षितिजपट पर अरुणिमा लिए वयूष विशेष।
प्रातः की लालिमा ले सुप्त राष्ट्र जगाना है,
बसंत तो फिर मने अनाचार मिटाना है।
युगदृष्टा
समावेष्टा जग केशरिया वसना,
त्याग फाग रंग इस वर्ष हो राष्ट्र चेतना।
त्याग फाग रंग इस वर्ष हो राष्ट्र चेतना।
***सुरेश चौधरी***
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