अशुभ समय कह काम टालता, वही वक्त को खोता।
समय रूप है स्वयं ईश का, अशुभ नहीं कुछ होता।।
सुखद क्षणों की करे प्रतीक्षा, पिछड़े वह जन भारी ।
रहे सोचते शुभ क्षण आये, उनको समय नचाता।
गया वक्त फिर नहीं लौटता, पछतावा रह जाता।।
शक्ति निहित सही समय में, दूर करे दुश्वारी।
उचित समय सबको ही मिलता, कुछ ने नहीं सँवारा।
समझ रहे मनहूस समय जो, करते वक्त गँवारा।।
भाग्य भरोसे बैठा मानव, वह खाता चोट करारी।
*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
हार्दिक आभार आडरणीया विश्वजीत सपन जी ।
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