पूजन करते लोग सब, खुश होवें भगवान,
बदले में हमको मिले, मुँह माँगा वरदान,
अजब सोच के लोग हैं, करें दिखावा रोज -
मर्म धर्म का तज रहे, कैसे ये इंसान।।
दस पैसे की बूँदियाँ, चढ़ा देव को भोग ,
बदले में ये माँगते, सुंदरतम संयोग,
स्वार्थ भरा संसार यह, देखो चारों ओर -
भारत भू पर क्यों बना, ऐसा यह दुर्योग।।
यह तो पूजा है नहीं, कहो इसे व्यापार,
ऐसे लोगों की सखे, पूजा है धिक्कार,
बदली सबकी सोच है, समझाए अब कौन -
पूजन जब निष्काम हो, करें देव स्वीकार।।
पूजा की थाली लिए, आए भक्त हजार,
ईश दिखावे को कभी, करें नहीं स्वीकार,
आडम्बर सब छोड़ कर, करें ईश का ध्यान -
प्रतिफल इसका है सुखद, मिल जाते करतार।।
पूजा का उद्देश्य हो, लें हम उनसे ज्ञान,
जनहित के सब काम कर, बने मनुष्य महान,
अंतर्यामी ईश हैं, जान रहा हर बात -
बिन माँगे भी वह करे, पूरे सब अरमान।।
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मुरारि पचलंगिया
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