Sunday, 27 December 2015

बड़ा दिन पर दोहे




पहला दिन कल से बड़ा, बढ़त मिले हर रोज
बैठे गुनगुन धूप में, हो गाजर का भोज।।

कर सौलह शृंगार अब, आया है नव वर्ष
ज्ञानोदय पथ पर बढ़े, सार्थक करे विमर्श।।

प्रेम भाव दिन-दिन बढ़े, जीवन में उत्कर्ष
भाव भरे माँ शारदे, शुभ शुभ हो नववर्ष।।
 
मनुज करे न तनिक कभी, दिल में कोई कर्ष
सच्चे अर्थों में तभी, शुचित प्रस्फुटित हर्ष।।
 
साथी सब मिलजुल रहे, इक दूजे के संग
घर पर यूँ खिलते रहे, प्रेम प्रीत के रंग।।

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*** लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  ***

3 comments:

  1. हार्दिक आभार श्री विश्वजीत सपन साहब

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    1. दिल से आपका स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी.

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