Sunday 10 November 2024

सजग वहीं रहता इंसान - गीत

 

समाचार पढ़ भिज्ञ रहें जो, सजग वहीं रहता इंसान।
समाचार पढ़कर ही जनता, खबरों का लेती संज्ञान।।

सतयुग त्रेता द्वापर में भी, खबरों का था खूब प्रबन्ध।
नारद यह दायित्व निभाते, देवों का उनसे अनुबन्ध।।
समाचार सब दूत सुनाते, आकर राजा के दरबार,
पत्र-सूचना के माध्यम से, करे सूचना सदा प्रदान।
समाचार पढ़कर ही जनता, खबरों का लेती संज्ञान।।

समाचार पढ़कर ही जाने, फैल रहा कितना उन्माद।
संसद तक में उलझे नेता, करते रहते व्यर्थ विवाद।।
छान-बीन कर सम्पादक भी, खूब जमाते अपनी धाक,
पत्रकार कुछ खोजी होते, चौकस हो रहते गतिमान।
समाचार पढ़कर ही जनता, खबरों का लेती संज्ञान।।

ऊल-जलूल खबरों से बचना, झूठी खबरों की भरमार।
अपना उल्लू सीधा करते, करें सदा उनसे परिहार।।
सत्य जानना सब जनता को,संविधान देता अधिकार,
अफवाहों पर ध्यान न देना,कहते रहते सभी सुजान।
समाचार पढ़कर ही जनता, खबरों का लेती संज्ञान।।

*** लक्ष्मण लड़ीवाला 'रामानुज'

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