पल पल रूप बदलता जीवन
कई रूप में ढलता जीवन
श्रृंगार करे मधुर पलों में
पलक भिगोए करुण क्षणों में
रौद्र रूप धर कभी डराये
खिल खिल हँस ये हमें हँसाये
कभी भयानक लगता जीवन
पल पल रूप बदलता जीवन
वीर रूप जब जीवन धारे
खल रिपुओं को फौरन मारे
बनकर योगी जग ये त्यागे
जन सेवा जब जीवन लागे
ईश - रूप में रमता जीवन
पल-पल रूप बदलता जीवन
जैसा चाहे रूप धरे ये
पर दुखियों की पीर हरे ये
सतकर्मी बन पूजा जाये
दुष्कर्मी हो जूता खाये
कनक बने जब तपता जीवन
पल पल रूप बदलता जीवन
***अवधूत कुमार राठौर 'अवध'
पचमढ़ी मार्ग, पिपरिया
9425682819
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