जीत का उद्गम सदा से हार है।
हार में ही जीत का इक द्वार है।।
हार का सपना सजाना मत कभी।
कोशिशों से मन हटाना मत कभी,
ये चुनौती जीत का आधार है।।
इम्तिहानों में निखरती ज़िन्दगी,
आँधियों में ही संभलती ज़िन्दगी।
मुश्किलों में ही सँवरती ज़िन्दगी,
वक़्त का हर क्षण लगा दरबार है।।
असफलता में सफलता है छिपी,
और निराशा में भी आशा है छिपी।
दुख में भी ख़ुशियों की माला है छिपी,
हार देती जीत का उपहार है।।
जीत का उद्गम सदा से हार है।
हार में ही जीत का इक द्वार है।।
*** डॉ. आनन्द किशोर
No comments:
Post a Comment