जिंदगी की धूप जब जब गुनगुनी लगने लगे ।
चार दिन का ये सफ़र जब ज़िन्दगी लगने लगे ।
उस खुदा की है इनायत यूँ समझ लेना सभी,
दोस्ती जब आपको इक बन्दगी लगने लगे ।।
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*** गुरचरन मेहता 'रजत' ***
धर्म बताता जीव को, पाप-पुण्य का भेद। कैसे जीना चाहिए, हमें सिखाते वेद।। दया धर्म का मूल है, यही सत्य अभिलेख। करे अनुसरण जीव जो, बदले जीवन ...