गहरी आँखों से काजल चुराने की बात न करो।
दिलकश चेहरे से घूँघट उठाने की बात न करो।।
सावन है बहुत दूर ऐ मेरे हमदम मेरे हमसफ़र।
बिन मौसम ही यूँ तुम सताने की बात न करो।।
इंतज़ार ही किया तुम्हारा हर मुलाक़ात के लिए।
ऐसे में फिर तुम अपना जताने की बात न करो।।
प्यार के परिंदे बन उड़ना ही अच्छा इस जहाँ में।
ज़ालिम है ज़माना घर बसाने की बात न करो।।
जहाँ चलती हो प्रेम के विपरीत खूब आँधियाँ ।
वहाँ फिर प्यार की शमाँ जलाने की बात न करो।।
***** "दिनेश"
आदरणीय विश्वजीत जी सपन जी मेरी रचना को सम्मान देने और ब्लॉग पर जगह देने के लिए दिल से आभार आपका
ReplyDeleteसादर स्वागत है आद. Dinesh Dave जी. सादर नमन
Deleteआभार आपका आदरणीय सपन जी साहिब
Deleteआदरणीया रेखा जोशी जी दिल से आभार आपका, मेरी रचना के भावो , शिल्प को सम्मान दिया , और सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित कर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए
ReplyDeleteआद. रेखा जोशी का दिल से आभार है आदरणीय. उनका चयन बहुत सुन्दर है. सादर नमन
Deleteसभी सम्मानित सदस्यों , मित्रो का दिल से आभार, समय समय पर उत्साह बढ़ाते है ,स्नेह मिलता है आप सभी का जो सृजन यात्रा को सहज बनाता है
ReplyDeleteआपका उत्साहवर्धन हो इसी कारण से यह कार्यक्रम रखा गया है, ताकि अनगिनत पाठक मिल सके. इसी प्रकार लिखते रहें और ईश्वर आपको सफलता प्रदान करता रहे.
Deleteसादर नमन
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ReplyDeleteआदरणीय विश्वजीत जी सपन जी मेरी रचना को सम्मान देने और ब्लॉग पर जगह देने के लिए दिल से आभार आपका
ReplyDeleteआदरणीय दिनेश दवे जी, आपका हार्दिक स्वागत है. आपका उत्साहवर्धन हुआ तो मंच की मंशा की पूर्ति हुई. इसी प्रकार स्नेह बनाये रखें. सादर नमन
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