सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला
के साहित्यिक मंच पर
मज़मून 24 में चयनित
सर्वश्रेष्ठ रचना
(एक छन्दमुक्त कविता) (दो मुक्तक)
भरी धरा जो हैं बेवस और लाचार,
पापियों से उन पर करो न अत्याचार,
मन में भरा उनकी आंहों की ज्वाला से,
पापियों से उन पर करो न अत्याचार,
मन में भरा उनकी आंहों की ज्वाला से,
आक्रोश बच पाओगे, करो विचार ।।
धधक रही भीतर
ज्वाला
सहती रही
अवनी कुदरत ने सबको है पाला,
ज्वाला
सहती रही
अवनी कुदरत ने सबको है पाला,
असहनीय पीड़ा स्वयं ईश उसका रखवाला,
अंतस की जब जब हो उससे खिलवाड़,
उगल दिया लावा धधक उठे तब उगले ज्वाला।।
उसने
फूट गई
जवालामुखी बन
*** हरिओम श्रीवास्तव ***
फूट गई
जवालामुखी बन
*** हरिओम श्रीवास्तव ***
*** रेखा जोशी ***
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